देहरादून। प्रदेश कांग्रेस कमेटी का एक अकाउंट चर्चा में है। एसबीआई की देहरादून की शाखा में एक जनवरी को खुले इस अकाउंट से करोड़ों का लेन-देन हुआ है। ऊधमसिंह नगर से ही सैकड़ों लोगों ने इसमें पैसा जमा कराया है। इनमें कई बिल्डर और उद्योगपति के साथ ही किसान भी शामिल हैं। इन किसानों में अधिकांश ऐसे हैं जिन्हें एनएच चैड़ीकरण की जद में आई भूमि का मुआवजा मिला है।
अब किसानों ने पैसा किसके कहने पर और किस एवज में जमा कराया, यह जांच का विषय है। मुआवजे में खेल को लेकर पीआईएल दाखिल करने वाले रामनारायण ने इस अकाउंट को आधार बनाया है। उसने प्रधानमंत्री के साथ ही डीजी इनकम टैक्स और हाईकोर्ट को इस अकाउंट का ब्यौरा भेजा है और सीबीआई जांच की मांग की है। भूमि के मुआवजे में खेल के साथ ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नाम से खुला यह अकाउंट चर्चा में आया है। अकाउंट का नंबर है 36404121330 और इसको एक जनवरी को एसबीआई की नैशविला, देहरादून शाखा में खोला गया है। खाते का संचालन कमल सिंह रावत नाम का व्यक्ति कर रहा है, जो मुख्यमंत्री हरीश रावत के ओएसडी बताए जाते हैं। अकाउंट में करीब ढाई माह के भीतर करोड़ों का लेन-देन हुआ है।
ऊधमसिंह नगर के लोग इस अकाउंट पर खासे फिदा दिखे। उन्होंने करोड़ों की रकम इसमें जमा कराई है। जिले के प्रमुख बिल्डर, उद्योगपति, अधिकारी और खासकर किसानों ने इसमें रकम जमा की है। सवाल यह उठता है कि आखिर रकम किसके कहने पर और किस आधार पर जमा की गई। हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल करने वाले राम नारायण ने इस अकाउंट की सीबीआई जांच की मांग की है।
उसका कहना है कि अधिकारियों ने ही बिल्डरों और उद्योगपतियों पर दबाव बनाकर इस अकाउंट में पैसा जमा करवाया है, साथ ही उन किसानों से भी पैसा जमा कराया गया जिनको एनएच चौड़ीकरण की जद में आ रही भूमि का मुआवजा मिला था। रामनारायण की मानें तो अकाउंट में सीधे पैसा भी जमा किया गया और एनएफटी के जरिये भी ट्रांसफर किया गया। अगर जांच हो जाएगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
जांच में शामिल हो सकता है अकाउंट
दरअसल अकाउंट का जिक्र विवादों से घिरे अधिकारियों के कारण सामने आया है। इन अधिकारियों ने कांग्रेस के खातों में दबाव बनाकर फंड ट्रांसफर कराया है तो इस कास्तानी को सामने लाने की कोशिश हो रही है, क्योंकि हरीश रावत खुद ऊधमसिंह नगर जिले की किच्छा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े हैं तो मामला और गहरा गया है। सूत्रों की मानें तो चुनावी खर्च का सारा लेन-देन इसी खाते से किया गया है। हालांकि कागजों में यह खाता नहीं आ पाया है। कांग्रेस के इस अकाउंट के चर्चा में आते ही कई की सांसें रुक गई हैं। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री के पड़ोस की किच्छा सीट से चुनाव लड़ने के चलते कई अफसरों ने दबाव में पैसा दूसरों के नाम से जमा कराया है लेकिन मामला किसानों पर आकर फंस गया है। आखिर उन्हीं किसानों ने पैसा क्यों जमा कराया, जिनको मुआवजा मिला था। उनसे पूछताछ होगी तो साफ हो जाएगा कि उन्होंने किस एवज में कांग्रेस के खाते में रकम जमा की।