UPRNN के फर्जी भुगतान पर CM ने दिए जांच के आदेश

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  • निर्माण निगम के अधिकारियों के दो-दो बार कर डाला लाखों का भुगतान !
  • ठेकेदार ने भ्रष्टाचार व शोषण  से आजिज आकर की  मुख्यमंत्री से शिकायत 
  • UPRNN राज्य में पहले भी रहा है चर्चाओं में अपनी कार्य प्रणाली को लेकर 

देहरादून : उत्तराखंड में तमाम घपले और घोटालों को लेकर चर्चाओं में रहे उत्तरप्रदेश निर्माण निगम का एक ताज़ा घोटाला तब सामने आया जब निर्माण निगम में काम कर रहे एक ठेकेदार ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को एक शिकायती पत्र सौपा। मामले में निर्माण  निगम के अधिकारियों ने ठेकेदारों को दो-दो बार भुगतान कर डाला जिसने यहाँ काम ही नहीं किया ,यह भुगतान लाखों रुपयों में है। मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने यू पी आर एन एन के प्रबंध निदेशक को मामले पर जांच के  निर्देश इस टिप्पणी के साथ दिए हैं कि ”यह प्रकरण अत्यंत गंभीर है”।  

मुख्यमंत्री उत्तराखंड को सम्बोधित शिकायती पत्र में कहा गया है कि मैसर्स आरिफ कंस्ट्रक्शन जो देहरादून के दून हॉस्पिटल के ओपीडी का कार्य कऱ  रहा है रुड़की इकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर आशुतोष दूबे पर अपने पद  का गलत फायदा ले रहे हैं। और गलत तरीके से भुगतान भी कर रहे हैं।  पत्र में कहा गया है कि इनके द्वारा ए एस बिल्डर के नाम 19 लाख २४ हज़ार 639 का विभागीय चैक संख्या 729078 आपस में बंटवारे के लिए बनाया गया है।  जबकि इसी तरह ओ टी इमरजेंसी के कार्य  पर एक और भुगतान यू पी के ठेकेदार को 41लाख 3 हज़ार 533 लाख का किया गया है। पत्र में कहा गया है कि यह कार्य धर्मराज कंस्ट्रक्शन को निविदा द्वारा आवंटित हुआ है जबकि भुगतान किसी और को किया गया है। इसी तरह मेरे नाम से चेक काटकर मेरे अकाउंट में जमा करा कर मुझे कहा गया कि आपके अकाउंट में कुछ पैसे डाले है उन्हें लाकर हमें दे दो। इसी तरह कई भुगतान मेरे नाम से निकाले गए हैं और भी कई गलत भुगतान किये गए हैं। 

पत्र में कहा गया है कि  आशुतोष दूबे इसी तरह के गलत कार्यों को लेकर पहले भी कई बार सस्पैंड हो चुका है और निर्माण निगम को जमकर चूना लगा रहा है। इतना ही नहीं जिन लोगों को निर्माण निगम में कार्य आवंटित हो रखे हैं उनको कार्य संपन्न करने के बाद भी भुगतान नहीं किया आ रहा है जिससे उनके सामने आर्थिक समस्या पैदा हो गयी है।  पत्र में कहा गया है कि वे बैंक स्टेटमैंट भी इस शिकायती पत्र के साथ लगाये हुए हैं ताकि जांच अधिकारी को जाँच में सहूलियत हो कि किस  तरह से फर्जी भुगतान किया जा रहा है।  उन्होंने पत्र में कहा है कि कुछ लोग मामला खुलने की डर से मुझपर समझौते का दबाव भी बना रहे हैं जिससे मेरी जान को खतरा तक हो गया है।  

कुल मिलाकर इस गड़बड़ घोटाले से साफ़ है कि  निर्माण निगम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है अन्यथा एक ठेकेदार को इस तरह जांच के लिए मुख्यमंत्री के दरबार में हाज़िरी नहीं लगानी पड़ती वह भी तब जब वह उसी निर्माण निगम में वह काम कर रहा है।  इसका साफ़ सन्देश यह जाता है कि  जब ठेकेदार के सर से ऊपर पानी चला गया तब ही उसने शिकायत करने की सोची होगी। वहीँ चर्चाओं में यह भी आया है निर्माण निगम के कुछ इस तरह के अधिकारियों द्वारा एक ही कार्य की दो-दो नाप पुस्तिका (MB ) बनायीं गयी हैं जिससे वे जब चाहे जिस तरीके से भुगतान और नाप जोख कर कागजी खाना पूरी करते रहे हैं। बहरहाल जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी इस प्रकरण की कठोर जांच के पक्ष में हैं और एक जानकारी के अनुसार उन्होंने उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक को मामले की सघन जांच करने को कहा है ताकि निगम के कार्यों का स्कैनिंग हो सके।