मुख्य सचिव जवाब दो ?

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देहरादून : उत्तराखंड की नौकरशाही इस कदर बेपरवाह और लापरवाह और निकम्मी हो चुकी है कि सरकार और शासन से न्याय की उम्मीद से थक-हारकर उसे मौत को गले लगाना पड़ा. लेकिन न तो सरकार का दिल पसीजा और न उत्तराखंड शासन में बैठे उन अधिकारीयों के जमीर ने ही उन्हें कचोटा जो इसके लिए जिम्मेदार कहे जा सकते हैं। 

इसका उदाहरण प्रधानमंत्री कार्यालय के उस पत्र से होती है जो प्रधानमंत्री कार्यालय ने मृतक प्रकाश पांडेय के पत्र के जवाब में लिखा था और उत्तराखंड के अधिकारीयों ने उसे कूड़े के हवाले कर दिया परिणाम स्वरूप कार्यवाही की आस में स्वर्गीय प्रकाश पांडेय के हाथ जब निराशा ही लगी तो उसने मौत को गले लगाना ही बेहतर समझा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने मृतक प्रकाश पांडेय के उस पत्र को अपने पोर्टल में स्थान दिया था और राज्य सरकार से अपेक्षा की थी कि वह इसका समाधान तुरंत करें।  प्रधानमंत्री  कार्यालय के अनुभाग अधिकारी  कुमार शैलेन्द्र ने यह पत्र 22 अगस्त 2017 को राज्य सरकार और मृतक को उसकी कॉपी भेजी थी। 

सबसे चिंता की बात तो यह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के इस पत्र को राज्य सरकार के राजस्व सचिव को भेजा गया जिसको उन्होंने रद्दी की टोकरी के हवाले कर  दिया।  इस बात से यह साफ़ यही कि राज्य की ब्यूरो क्रेसी किस  कदर बेपरवाह और गैरजिम्मेदार हो चुकी है जो प्रधानमन्त्री कार्यालय तक एक पत्रों के जवाब देना तो दूर उनको देखने तक की जहमत नहीं उठाते। यह बार भी दीगर है यदि सूबे के राजस्व सचिव प्रधानमंत्री कार्यालय से आयी प्रकाश पांडेय की समस्या के सम्बन्ध में आये पत्र पर गौर करते तो शायद प्रकाश पांडेय को आत्महत्या के लिए विवश नहीं होना पड़ता और उसके बच्चो को इस हाल में बेसहारा नहीं होना पड़ता।