कोटद्वार में हार कर भी जीत गये चौहान !

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  • चुनावी हार के बावजूद मिली राजनीतिक जीत! 
चंद्रमोहन जदली 
कोटद्वार :    कोटद्वार में विगत 15 वर्षो से भाजपा का झंडा – डंडा उठाने वाले धीरेन्द्र चौहान ने इस बार मेयर सीट पर अपनी पत्नी को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतार कर और भाजपा को हाशिये पर धकेल कर अपने बागी तेवर से भाजपा नेतृत्व की चूलें हिलाकर रख दी हैं । भले ही आंकड़ों के खेल में चौहान अपनी पत्नी विभा चौहान को 1500 वोटों के मामूली अंतर से मेयर बनाने से चूक गये हों, लेकिन भविष्य के लिए वे विधायक प्रत्याशी के तौर पर कोटद्वार की राजनीति में अपने को बेहद मज़बूती के साथ स्थापित के चुके हैं।
धीरेन्द्र चौहान  ने मेयर के चुनाव में अपनी पत्नी विभा चौहान को निर्दलीय प्रत्याशी  के रूप में जनता के समक्ष   कांग्रेस – भाजपा के सशक्त विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर अपनी मज़बूत पकड़ व लोकप्रियता का अहसास करा दिया है ।  यदि वे इसी लोकप्रियता व जनता  के बीच अपनी मज़बूत पकड़ को बरक़रार रखते हैं तो 2022  के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कोटद्वार के विधायक भी बन सकते हैं ऐसा राजनीतिक जानकारों का कहना है। क्योंकि अब कोटद्वार की जनता उन्हें एक साफ़-सुथरी व ईमानदार छवि के नेता और एक बेहद मजबूत विकल्प के रूप में देख रहे हैं ।  
वर्ष 2012   के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री व भाजपा के प्रोजेक्टेड मुख्यमंत्री प्रत्याशी भुवनचंद्र खंडूरी  को सीधी टक्कर में 4600 मतों से पराजित करने वाले कांग्रेस नेता सुरेंद्र सिंह नेगी इस बार मेयर के चुनाव में राजनीतिक प्रपंचों व जोड़ -तोड़ से बेहद दूर रहने वाले सीधे-सादे, गैर राजनीतिक परिवार के धीरेन्द्र चौहान की निर्दलीय मेयर प्रत्याशी पत्नी विभा चौहान को पूरी एड़ी-छोटी का जोर लगाने के बावजूद केवल 1500 वोटों से  हरा कर अपनी साख बचा पाए हैं , वो भी तब जबकि भाजपा 11000 वोट ले कर त्रिकोणीय चुनाव बना रही थी और उनकी पत्नी हेमलता नेगी एक राष्ट्रीय पार्टी की मेयर प्रत्याशी की तौर पर कांग्रेस की कैडर वोटों की साथ, एक बेहद अनुभवी दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी  की पत्नी की रूप में भी चुनाव लड़ रही थीं  और यदि  भाजपा का टिकट धीरेन्द्र चौहान की पत्नी विभा चौहान को मिलता तो पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी के पत्नी हेमलता नेगी का चुनाव जीतना बेहद मुश्किल तो था ही साथ ही नामुमकिन भी था।
                                                        
कोटद्वार के चुनाव परिणामों के बाद अब भाजपा को करना होगा चिंतन कि यदि भाजपा को 2019 की लोकसभा चुनाव व 2022  की विधानसभा चुनाव में कोटद्वार में अपनी साख बचानी है तो धीरेन्द्र चौहान जैसे जमीनी पकड़ और लोकप्रिय,स्वच्छ छवि के कार्यकर्ता को टिकट दे कर अपनी पुरानी गलतियों को सुधारना भी होगा ।
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