राज्य के ऊपर कर्ज पर भाजपा नेता लगातार जनता को कर रहे हैं गुमराह : हरीश रावत

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कर्ज व विकास दर पर भाजपा सरकार को  घेरा

देहरादून : पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नेशुक्रवार को  अपने कार्यालय में राज्य के पर्वतीय आंचल फल के बेड़ू व तिमला के स्वाद चखाते हुए पत्रकार वार्ता करते हुए भाजपा सरकार के नेताओं द्वारा राज्य के ऊपर कर्ज व खनन की आमदनी पर किये जा रहे दुष्र्पचार के जवाब में कई आकंड़े जारी किये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ऊपर कर्ज पर भाजपा नेता लगातार जनता को गुमराह कर रहे हैं। 31 मार्च, 2001 तक राज्य पर 3750 करोड़ रूपया का कर्ज होना बताया और कहा कि उस समय राज्य की विकास दर 1 प्रतिशत के आसपास थी। सन 31 मार्च, 2007 तक कर्ज 10500 करोड़ रूपया हो गया व विकास दर 5 प्रतिशत के आसपास रही है।

उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2014 में जहां कर्ज की मात्रा 30 हजार करोड़ रूपया हो गई। जब राज्य जून, 2013 की प्राकतिक दैवीय आपदा से गुजरा था व आपदा के कारण विकास दर 2.50 प्रतिशत के आसपास रही जो 2015-16 में 39 हजार करोड़ रूपये का कर्ज राज्य पर हुआ परन्तु विकास दर ने असीमित गति प्राप्त कर 11 प्रतिशत तक पहुंची है जो कि पूरे देश के अन्दर राष्ट्रीय विकास दर से भी अधिक रही है। इसलिए विभिन्न राष्ट्रीय एजेन्सीयों की रिर्पोट में राज्य को तेजी से आर्थिक रूप से विकसित होने वाला राज्य बताया गया है। उन्होंने कहा कि यह सब आकंड़े भाजपा द्वारा अपने बजट भाषण में पेश किये गये आकड़ों की तश्वीर है। स्पस्ट है कि कांग्रेस शासन काल में राज्य ने उल्लेखनीय आर्थिक विकास दर को प्राप्त किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कर्ज लेने की क्षमता का भी हमने आर0बी0आई0 के मानकों के अनुसार ही ऋण लिया है और भा0ज0पा0 जो वातावरण बना रही है वह राज्य के हित में उचित नहीं है।

बागवानी, कृषि के एकीकरण पर पुर्नविचार की सलाह

पूर्व मुख्यमंत्री भा0ज0पा0 सरकार के कृषि व बागवानी विभागों के एकीकरण पर भी सरकार को अपने निर्णय पर पुर्नविचार करने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया है। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में बागवानी के क्षेत्र में 27 प्रतिशत, पादक क्षेत्र में 13 प्रतिशत व जूड़ी-बूटियों ने अपनी जगह बनानी शुरू की है। ऐसे में उपरोक्त विभागों का एकीकरण राज्य के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे आम, सेब, आड़ू, चीलू, पुलम आदि ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाकर हमारी किसान ने अपनी ब्राण्डिंग की है। यहां तक कि सिल्वी कल्चर ने हमारी विकास दर 45 प्रतिशत तक पंहुची है तथा वन विभाग, मण्डी, बागवानी विभाग आदि कई विभाग पौधा रोपण के कार्य युद्ध स्तर पर कर रहे हों तो विभागों का एकीकरण पर बांधा पंहुचेगी।

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में भी राज्य ने लगभग 8 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त कर उल्लेखनीय काम किया है तथा कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीय विकास दर को हमने पीछे छोड़ा है। बागवानी और कृषि को लाभकारी व पलायन रोकने में सहायक बनाने के उदेश्य से हमारी सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाऐं शुरू की थी जिनका लाभ भी राज्य को मिला है और उससे रिवर्स पलायन की सम्भावनाओं को तलाशने में सहायता मिल सकती है। उन्होंने टिहरी के चम्बा क्षेत्र में किसान राजकुमार द्वारा की गई आत्महत्या करने पर गहरा दुखः प्रकट करते हुए कहा कि, इस तरह किसानों की आल्महत्यायें को रोकने के लिए सरकार को योजनाबद्व होकर काम करना चाहिये, जिससे की इस तरह की आल्म हल्याओं को रोका जा सके। यदि सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाकर कोई ऐसी योजना पेश करती है तो हम उसका सर्मथन व सहयोग करेंगे।

खनन पर भाजपा के आंकड़ों को किया खारिज, अपने आंकड़े जारी किये
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने खनन की आय पर भी भाजपा सरकार को घेरा है। उन्होंने अपनी प्रेस वार्ता में वर्ष 2016-17 में अप्रैल से जून तक कुल राजस्व कांग्रेस सरकार के समय 93.38 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ व भाजपा सरकार वर्ष 2017-18 में उसी दौरान 75.35 करोड़ रूपये का राजस्व प्रात हुआ है। लगभग 19.3 करोड़ रूपया का राजस्व भाजपा सरकार ने कम प्राप्त हुआ है और यह हाल भी तब है कि कांग्रेस सरकार के समय रेत, बजरी, बोल्डर आदि का मूल्य 45 रू0 कुन्तल था आज 120 रू0 प्रति कुन्तल कर दिया गया, जिसका भार भी सीधा जनता के ऊपर पड़ा है।