बीजेपी आरएसएस की फ्रेंचाईजी : हरीश रावत

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साम्प्रदायिकता भारत छोड़ो का नारा हास्यास्पद : हरीश रावत 

देहरादून । पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि आज जिस प्रकार से केन्द्र की मोदी सरकार इतिहास को बदलने की परम्परा कर रही है उसकी जितनी निंदा की जाये वह कम है। साम्प्रदायिकता भारत छोड़ो का नारा तब तक हास्यास्पद है जब तक भाजपा व संघ परिवार अपने साम्प्रदायिक ब्रांडों को बंद नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी आरएसएस की फ्रेंचाईजी बनकर रह गई है।

कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संघ परिवार के ऐसे सभी अपकृत्यों के लिए सार्वजनिक खेद प्रकट नहीं करते हैं। उनका कहना है कि जब तक एक तरफ तथाकथित गौ रक्षक व हिन्दू युवा वाहिनी, बजरंग दल जैसे संगठन धर्म आधारित घृणा के प्रचार के लिए भीड़ हत्या को माध्यम बना रहे हैं और वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कथन मात्र एक मजाक मात्र है। जिन लोगों ने साम्प्रदायिकता के जिन्न को खड़ा किया है उसे बोतल में बंद करना भी उन्हीं का दायित्व है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों को स्वर्गीय दीनदयाल के विचारों का ज्ञान कराने के नाम पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आधुनिक भारत के निर्माण के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर दिखाने के कुप्रयास निन्दनीय है। उनका कहना है कि प्रगतिशील ताकतें ऐसा कुप्रयास का जमकर विरोध करेगी।

उन्होंने कहा कि भाजपा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पंडित जवाहर लाल नेहरू को महापुरूष नहीं मानती और स्वर्गीय पंडित दीनदयाल की तुलना ऐसे महापुरूषों से कर रही है जिनका भारत के निर्माण में कोई योगदान नहीं रहा है। उनका कहना है कि संघ साम्प्रदायिकता आधारित सोच के ध्वज वाहकों को स्वामी विवेकानंद के समकक्ष रखा जा रहा है, जो निन्दनीय है, ऐसा करने वालों के खिलाफ सड़कों पर उतरकर जनांदोलन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा के दून में आयोजित समागम को महात्मा गांधी के हत्यारे नाथू राम गोडसे को समर्पित बताया और कहा कि इस समागम में भारत चीन सीमा तनाव, किसानों की लगातार हो रही आत्महत्यायें, बढ़ती बेरोजगारी और पलायन जैसे मुददों पर कोई चर्चा नहीं की गई है और न कोई प्रस्ताव आया है। उनका कहना है कि इस समागम में एक बेबस मुख्यमंत्री काम करने की स्वतंत्रता मांगते हुए अवश्य दिखे। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के बयान की तीखी निंदा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा किसानों की आत्महत्याओं को सुसाईट नोट के साथ जोड़ने संबंधी कथन दुर्भाग्यपूर्ण व अमानवीय है। प्रदेश के मुखिया को इस कथन के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए।

रावत ने कहा कि उनके मुख्यमंत्रीत्व काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चारधाम मार्गों के सुधार के कार्य का शुभारंभ दून में किया और इसके ऑल वेदर रोड का नाम दिया जा रहा है, इसके लिए प्रदेश सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत है। उनका कहना है कि भारत की सीमा पर चीनी सैनिक आ रहे हैं और केन्द्र व प्रदेश सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। उनका कहना है कि नोटबंदी व जीएसटी से तात्कालिक प्रभाव राज्य पर पड़ा है और राज्य की विकास दर में इससे कमी आई है। राज्य सरकार को पूर्ववर्ती सरकार ने स्वस्थ अर्थव्यवस्था दी है और प्रदेश में व्यापक स्तर पर पूंजी निवेश किया गया है, जिसकी पुष्टि सांख्यिकी विभाग ने भी की है और आने वाले मार्च माह में इसके बेहतर परिणाम सामने आयेंगे। इस अवसर पर वार्ता में महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्य, चनरराम, गरिमा दसौनी मेहरा, कैप्टन बलवीर रावत, प्रभुलाल बहुगुणा, सुरेन्द्र कुमार, कमलेश रमन, राजेन्द्र शाह, मोहन काला आदि मौजूद थे।