बागेश्वर PWD कर रहा वन संरक्षण अधिनियम का घोर उल्लंघन

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पर्यावरण विभाग के नियमों को ताक पर रख  किया जा रहा मोटर मार्ग निर्माण 
लोनिवि ने मच्छीबगड़ –ग्वालदे मोटरमार्ग पर उखाड़ डाले हज़ारों पेड़ बिना स्वीकृति के 
देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
बागेश्वर :  लोक निर्माण विभाग के बेलगाम अधिकारी बागेश्वर जिले में सड़क निर्माण के नाम पर हज़ारों पेड़ों को काटने के मनमानेपन पर उतर आए हैं। मामला बागेश्वर जनपद के गरुड़ तहसील के अंतर्गत पड़ने वाली मच्छीबगड़  –ग्वालदे मोटर मार्ग का है जिसकी स्वीकृति  पर्यावरण मंत्रायल द्वारा 7 कि. मी. निर्माण हेतु प्रदान की गई थी, और इस मोटर मार्ग के कारण 2.875 हे. वन भूमि प्रभावित होने का आकलन किया गया था,  किन्तु कुछ समय बाद लोक निर्माण विभाग ने पर्यावरण विभाग के नियमों को ताक पर रख इस मोटर मार्ग के अलाइनमेंट को ही बदल डाला और 7 किलोमीटर की लंबाई को बिना विभागीय स्वीकृति के घटा कर मात्र 5.75 किलोमीटर कर दिया। 
गौरतलब हो कि इस मोटर मार्ग के लिये विभाग द्वारा 13 मई 2016 को समाचार पत्र के माध्यम से निविदा आमंत्रित की गई थी जिसे 2 जून 2016 को खोला गया इस के पश्चात् एक माह बाद अधिशासी अभियंता बागेश्वर द्वारा 5.75 किलोमीटर सड़क के लिये 282.65 लाख का प्रस्ताव मुख्य अभियंता अल्मोड़ा को स्वीकृति हेतु भेजा जिसकी स्वीकृति 27/06/2016 को प्राप्त हुई, जो समझ से परे है कि लोक निर्माण विभाग को निविदा प्रक्रिया की आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों थी जबकि वित्तीय स्वीकृति प्राप्त ही नहीं हुई थी।
हालाँकि इसके बाद भी वर्ष 2016 मे मच्छीबगड –ग्वालदे मोटर मार्ग का निर्माण कार्य आरंभ तो कर दिया गया किन्तु लोक निर्माण विभाग ने बिना वन विभाग की अनुमति के हरे वृक्षों को जे.सी.बी से उखाड़ते हुए ठिकाने ही नहीं लगाया बल्कि वन क्षेत्र मे सड़क निर्माण कार्य भी सड़क निर्माण के कायदे कानूनों को ताक पर रखते हुए बिना जॉब पिलर के शुरू करवा दिया , सड़क को लेकर जहाँ एक तरफ लोक निर्माण विभाग वन का जमकर दोहन करता रहा और दूसरी तरफ वन विभाग पर जिन वनों के संरक्षण की जिम्मेदारी है वो मात्र पत्राचार इधर-उधर करते हुए कागजों में खानापूर्ति करता रहा।
मामले में उप प्रभागीय वन अधिकारी, बागेश्वर से सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के मुताबित मच्छीबगड –ग्वालदे मोटर र्माग निर्माण मे लोक निर्माण विभाग बागेश्वर द्वारा नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है, जिस का ज़िक्र वन विभाग ने स्थलीय निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर किया गया है।
बीती एक अप्रैल 2018 को वन विभाग द्वारा जब इस मोटर मार्ग का स्थलीय निरक्षण किया गया तो वन विभाग ने पाया इस मोटर मार्ग का बिना जॉब पिलर बनाये ही निर्माण किया जा रहा है, यहाँ तक की मोटर मार्ग निर्माण तक भारत सरकार से स्वीकृत मानचित्र के अनुसार नहीं किया गया है, जो की वन संरक्षण अधिनियम का घोर उल्लंघन है, मलबे का निस्तारण तक मानकों के अनुरूप नहीं  किया जा रहा था और मलवे को नदी, नालों,जलश्रोतों तथा वन भूमि में जेसीबी से फेंक दिया गया जिससे सड़क के नीचे की तरफ की वनस्पतियों को तो नुकसान पहुंचा ही साथ ही इलाके के पर्यावरण और पारिस्थितिकी को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचा है।
वर्तमान में अब इस प्रकरण की जांच मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में चल रही है अब यह यक्ष प्रश्न है कि उक्त मोटर मार्ग में हुई अनियमितताओं के दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है जिन्होंने इलाके के पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया ?