लोकसभा चुनाव से पहले होगा मंत्रिमंडल में विस्तार!

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  • हिलोरे मारने लगी हैं भाजपा नेताओं में दायित्व धारी बनने की आस

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 
देहरादून : निकाय चुनाव में भाजपा के शानदार  प्रदर्शन के बाद अब सत्ता के गलियारों में एक बार फिर मंत्रिमंडल में विस्तार की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। वहीं लोकसभा चुनाव से पहले चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत मंत्रिमंडल में मंत्रियों के खाली पड़े दो पदों पर नए सदस्य लाये जा सकते हैं। वहीं निकाय चुनाव के बाद भाजपा नेताओं को दायित्व धारी बनने की आस भी हिलोरे मारने लगी है।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड में 70 सदस्यीय राज्य विधानसभा होने के कारण उत्तराखंड में मंत्रिमंडल मुख्यमंत्री समेत अधिकतम बारह सदस्यीय का हो सकता है इस लिहाज से सूबे में अभी भी दो मंत्रियों के पद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद और से रिक्त पड़े हुए हैं।

गौरतलब हो कि मार्च 2017 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा सरकार बनी थी  उस दौरान उन्होंने केवल नौ ही विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया। इनमें मुख्यमंत्री के अलावा सात कैबिनेट मंत्री व दो राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए गए हैं । तब भी मंत्रिमंडल में दो पद रिक्त रखे जाने पर राजनैतिक हलकों में अचरज भी जताया गया क्योंकि भाजपा के पास लगभग दो दर्जन ऐसे विधायक थे, जो दो या ज्यादा बार विधायक का चुनाव जीते। यही नहीं, पूर्व में मंत्री रह चुके पांच वरिष्ठ विधायकों को भी मौका नहीं मिल पाया।

तब से लेकर अब तक, दो साल होने को हैं ,लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी टीम का विस्तार नहीं किया। हालांकि इस तरह की चर्चाएं कई बार चलीं कि जल्द मंत्रिमंडल विस्तार किया जा सकता है। ठीक इसी तरह सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर पार्टी विधायक और संगठन का जिम्मा संभाल रहे नेता दायित्व बंटवारे की बाट जोह रहे हैं। इस दौरान हालांकि दायित्व जरूर बांटे गए, लेकिन बस चुनिंदा ही। कुछ अरसा पहले तो बाकायदा दायित्वों के क्रम में लगभग 30 पार्टी नेताओं के नामों की सूची को आलाकमान से मंजूरी तक की चर्चा रही, मगर यह भी अंजाम तक नहीं पहुंच पाई।

अब जबकि राज्य में निकाय चुनाव निबट चुके हैं और भाजपा का प्रदर्शन खासा बेहतर रहा, एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार व दायित्व वितरण की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। राजनैतिक हलकों में कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री लंबे समय से इंतजार कर रहे विधायकों और पार्टी नेताओं को तोहफे से नवाज सकते हैं। दरअसल, इस तरह की चर्चाओं को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दिल्ली दौरे से बल मिल रहा है। हालांकि दिल्ली में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर कोई जानकारी अभी नहीं दी गई है लेकिन समझा जा रहा है कि मुख्यमंत्री दिल्ली में शीर्ष पार्टी नेताओं से उनकी मुलाकात है।