ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुए बाबा केदार

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  • उखीमठ मंदिर में उमड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़

देवभूमि मीडिया ब्यूरो 

उखीमठ : भगवान शिव के  ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ की भोगमूर्तियों को रविवार को हज़ारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में जयकारों ने बीच शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह में विराजमान कर दिया गया । इस अवसर पर केदारघाटी सहित अन्य जगहों से भारी संख्या में पहुंचे शिव भक्तों ने बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। आज के बाद अब, छह माह तक बाबा केदार की पूजा उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में होगी।

स्थानीय वाद्य यंत्रों सहित सेना के 10-जेकेलाई की बैंड धुनों और भक्तों के जयकारों के बीच भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली पंचकेदार शीतकालीन गद़्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में पहुंची। यहां भक्तों ने आराध्य का फूल-मालाओं के साथ भव्य स्वागत किया गया । ओमकारेश्वर मंदिर की तीन परिक्रमा के बाद पुजारी बागेश लिंग ने बाबा केदार की डोली की आरती उतारी।

वहीं रावल भीमाशंकर लिंग ने भोगमूर्तियों को डोली से उतारा। आचार्य विश्वमोहन जमलोकी, यशोधर मैठाणी, मृत्योंजय हीरेमठ और स्वयंबर सेमवाल के वेद-मंत्रोच्चार के बीच केदारनाथ के पुजारी टी गंगाधर ने इन मूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठापित किया। इस दौरान अन्य सभी धार्मिक और परंपरागत औपचारिकताओं का निर्वहन किया गया। रावल द्वारा शिव भक्तों को केदारनाथ से लाया गया उदक जल और भष्म प्रसाद के रूप में वितरित किया गया।

इससे पूर्व प्रात: आठ बजे बाबा केदार की चल विग्रह डोली ने काशी-विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रस्थान किया। विद्यापीठ होते हुए डोली प्रात: 9 बजे जयवीरी पहुंची, जहां ग्रामीणों ने आराध्य का स्वागत किया। अल्प विश्राम के बाद बाबा की डोली अपने शीतकालीन प्रवास के लिए प्रस्थान करते हुए 10 बजे देवदर्शनी पहुंची। यहां सैकड़ों शिव भक्तों ने पुष्प-अक्षत के साथ आराध्य का स्वागत किया।

धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के बाद डोली भक्तों के जयकारों के साथ पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंची। इस मौके पर श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, राजकुमार नौटियाल, वचन सिंह रावत, युद्धवीर पुष्पवाण, पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भट्ट, हर्ष जमलोकी, चंडी प्रसाद भट्ट, रमेश नौटियाल, बबलू जंगली, जिला पंचायत सदस्य संगीता नेगी, मीना पुंडीर आदि मौजूद थे।

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