बाबा,डेरा, गुफा और हनी प्रीत के तड़के की खुशबू पहुंचेगी अमित शाह की नाक तक!

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  • उत्तराखंड भाजपा का कौन है डेरा प्रमुख और क्या है उसकी रहस्यलोक की कथाएं पढ़िए ….

राजेन्द्र जोशी

आजकल पूरे देश में गुरमीत राम रहीम की चर्चा है आध्यात्मिक गुरु के चोले में छुपा हुआ ऐसा कामी  पुरुष जिसके काले कारनामों की निरंतर नई – नई परतें खुल रही हैं तो उतने ही नये खुलासे सामने आ रहे हैं। बहरहाल भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के उत्तराखंड दौरे के दौरान पार्टी के अनेक पूर्व दायित्वधारी न अपनी उपेक्षा की शिकायत करने वाले हैं ( बल्कि  ) शाह से मिलकर सर्वप्रथम पार्टी की हो रही दुर्गति, जनता में संगठन की गिरती साख और कार्यकर्ताओं में नेतृत्व के प्रति घटते सम्मान के लिए भेंट करने वाले हैं, इस क्रम में वे सबसे पहले दिल्ली से नागपुर तक चर्चित हो चुके रंगीले रसिक बाबा से प्रदेश संगठन की मुक्ति चाहते हैं। एक वरिष्ठ और भड़के हुए दायित्व धारी ने कहा पहले पार्टी की इज्जत और कार्यकर्ताओं का सम्मान है फिर सरकार में पद प्रतिष्ठा की मांग। हमने भूखे रहकर पार्टी खड़ी की है और एक आदमी बगदादी बनकर हमारी पार्टी और हमारे सम्मान का कत्लेआम कर रहा है।राष्ट्रीय अध्यक्ष से अपनी वरिष्ठता के आधार पर सरकार में दायित्व की मांग करने वाले हैं  या अपनी उपेक्षा की शिकायत करने वाले हैं वे सब मिलकरके इस कथित डेरा प्रमुख से उत्तराखंड भाजपा की मुक्ति की गुहार लगाएंगे अगर बाबा की सजगता से उन्हें  उत्तराखंड में मुलाकात का समय नहीं मिला तो वे कभी भी दिल्ली जाकर उसके कच्चे चिट्ठे, सुबूतों और कतरनों को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलेंगे । उत्तराखंड दौरे के दौरान अमित शाह को सूबे के इस चर्चित बाबा राम रहीम जैसे रसिया के दीदार करने का सौभाग्य भी प्राप्त होगा।

‘’देव भूमि मीडिया’’ देव भूमि के मूल्यों के लिए निरंतर संघर्ष करता रहा है और ऐसे चरित्र समाज में, सरकार में, पार्टियों में अर्थात जहां भी दिखाई देते हैं उसे देवभूमि के लिए घातक मानते हुए अपने पत्रकारिता धर्म को निभाता रहा है। इसके पूर्ववर्ती समकक्ष डेरा प्रमुख भी इसी तरह के आरोपों में चर्चित रहे हैं किंतु वर्तमान राम रहीम ने तो इन सारी मर्यादाओं को लांघ ही नहीं दिया है बल्कि सम्प्रदाय के क़ानून को तार-तार तक करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। “डेरे ” के संगठन कार्यों के बजाए इस बाबा के कारनामे की चर्चा हर कार्यकर्ताओं की जुबान में रहती है। लेकिन डर के मारे किसी ने आज तक मुंह नहीं खोला। वह चाहे संगठन के अनुशासन के कारण कहा जाए अथवा डेरे की बदनामी के डर के कारण ही नेता और कार्यकर्ता सार्वजनिक रूप से उन बातों को कह ना पायें किंतु पीठ पीछे की चर्चाओं में केवल बाबा की रसिक मिजाजी और उसके हनी प्रीतों की चर्चा सरे आम तो रहती ही है।

इस डेरे के बाबा के शौक भी निराले हैं। इस बाबा की हरकतें भी राम रहीम की तरह ही निराली है यह बाबा भी राम रहीम की तरह डिज़ाइनर कपड़ों ,लोगों से दरबार लगाने, चुगली सुनने, महंगी गाड़ी, महंगे कपड़े, महंगी घड़ियां, महंगे जूते, लेटेस्ट फोन का शौक़ीन मिज़ाज़ है जो इस बाबा के अल्ट्रामाडर्न रूप के दर्शन कराते हैं। दो-दो पीआरओ, दो-दो खानसामा और दो-दो ड्राइवर का शौकीन यह बाबा लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों में डेरे की महाविजय का श्रेय भी खुद लेने में झिझक नहीं करता है और अपने समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर निरंतर अपनी प्रशंसा के पोस्ट डलवाता रहता है। जिस तरह राम रहीम को टीवी और सोशल मीडिया में दिखने का शौक था और उसका शौक इस कदर पहुंचा कि उसने करोड़ों रुपए खर्च करके ‘’MSG’’ मैसेंजर ऑफ गॉड फिल्म तक बना डाली उसी तरह इस बाबा को भी टीवी और सोशल मीडिया में दिखने और चर्चाओं में रहने का शौक है।      

बाबा सोशल मीडिया में, अखबारों में और पूरे प्रदेशभर में होल्डिंग और पोस्टरों में अपनी विभिन्न मुद्राओं में फोटो लगाने का शौकीन है जिसके लिए बाकायदा अच्छे फोटोग्राफर से खींची गयी फोटो बाबा के सेवादारों द्वारा पोस्ट होती रहती हैं, बाबा फेसबुक पर चरणवन्दना करने, तारीफ करने पर प्रसन्न होते हैं और प्रसाद देते हैं जिस तरह राम रहीम की रहस्यमई गुफा के चर्चे टीवी अखबारों में छप रहे हैं उसी तरह कहीं दुमंजिले में रह रहे इस बाबा की विशेष गुफा की चर्चा भी कार्यकर्ताओं के जुबान पर है। जहां बाबा मनपसंद सेवा करने पर दीक्षा के रूप में मनपसंद पद और ”माफ़ी” देता है । इस  गुफा में केवल उसके विशेष सेवादारों का ही प्रवेश हो सकता है या जिसे उसने विशेष रुप से अनुमति दी हो वही वहां तक पहुँच सकता है। पार्टी के वरिष्ठ से वरिष्ठ नेताओं को भी उस कक्ष में जाने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है।  कक्ष के मुख्य द्वार पर सूचना लगी रहती है कि ‘’अगर दरवाजा बंद है तो खटखटायें नहीं’’ ये ‘’हिदायत’’ वाक्य जो कि अनेक बार अखबारों की सुर्खियां भी बना है।

इससे पूर्व के डेरे में रह रहे बाबा कक्ष को बहुत साधारण सा रखते थे लगता था वहां कोई संत रहते हैं, किंतु इस बाबा ने आकर अपने कक्ष का पंच सितारा सुविधाओं से सुसज्जित कर इसका कायाकल्प कर डाला है। बाबा को  जिम्मेदारी के हिसाब से पूरे प्रदेश में प्रवास करना होता है।  किंतु बाबा इस पर्वतीय राज्य के मैदानी जिलों में सुविधा संपन्न कार्यकर्ताओं के हिसाब और हनी प्रीतों के रूट के हिसाब से ही प्रवास करते हैं। बाबा के अपने सुरक्षित ठिकाने हैं और विश्वसनीय सेवादारों के द्वारा बाबा अपने दौरों को अंजाम देता है।  इन दौरों को भले ही संगठन के कार्य के रूप में दिखाया जाता है किंतु यह सभी दौरे बाबा के निजी सुख सुविधा और आनंद के लिए आयोजित होते हैं। अगर बाबा की भृकुटी तन गयी तो बाबा कोरिया के तानाशाह किम जोंग की तरह उसके राजनीतिक जीवन को बर्बरता से ख़त्म करने में भी कोई संकोच नहीं करता है। 

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के  यात्रा के बाद बाबा का डेरा कितना बचता है यह भविष्य के गर्भ में है । जिस तरह शहीद पत्रकार छत्रपति ने अपने अखबार ‘’पूरा सच’’ के द्वारा  बाबा राम रहीम की सच्चाई जनता के सामने प्रकाशित की जिसके परिणाम स्वरूप उनकी ह्त्या हुई और आरोप राम रहीम पर लगा उसी तरह यह बाबा भी अपने बारे में प्रकाशित होने  वाली हर गतिविधि पर अपने गुर्गों से नज़र रखवाता है और खबर छापने वालों को कानूनी धमकी भी देता है।इस काम में उसका एक विश्वसनीय सेवादार अभिमन्यु की भूमिका में होता है जो किले में प्रवेश तो कर सकता है लेकिन किले से बाहर न खुद निकल सकता है और न बाबा को ही किले से बाहर निकाल सकता है क्योंकि वह ज्ञान उसे प्राप्त ही नहीं हो पाया था । अब यही मुख्य सलाहकार की भूमिका में है जो कि एक विज्ञापन कंपनी से जुडा हुआ बताया जाता है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे को देखते हुए बाबा की सिट्टी पिट्टी गुम है बाबा को भनक लग चुकी है कि डेरा समेटने की नौबत आने वाली है क्योंकि अनेक पीड़ित कारतूस और बम अध्यक्ष के सामने फटने को तैयार हैं। बाबा का गुरु जिसने इस बाबा को गद्दी सौंपी है वह भी दायित्व धारियों के निशाने पर है।