उत्तराखण्डी सिनेमा में अनमोल प्रोड्क्शन का नया अध्याय

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उत्तराखंड सिनेमा के बड़े पर्दे पर ‘गोपी-भिना’

जगमोहन ”आज़ाद” 

उत्तराखंडी सिनेमा ने बड़े पर्दे पर भले ही सालों पहले शुरूआत कर दी थी। लेकिन उसे अपने वास्तविक मुकमा को हासिल करने के लिए एक लंबा वक्त लगा, लेकिन यह लंबा वक्त उत्तराखंडी सिनेमा को नये स्वरूप में उकेरने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

पहली गढ़वाली फिल्म’जग्गवाल’ और फिर पहली कुमाउंनी फिल्म ‘मेघा आ’ से शुरू हुआ पहाड़ी फिल्मों का सफर धीरे-धीरे ही सही,पर आगे बढ़ता रहा और खुद के गढ़ता रहा। इस दौर की बात करें तो उत्तराखंडी सिनेमा ने हर तरह से नये स्वरूप के साथ खुद को बड़े पर्दे पर उकेरा और सिनेमा के नयी तकनीक के साथ खुद को साबित भी किया। इसका श्रेय निश्चित तौर पर उन लोगों को जाता हैं। जिन्होंने पहाड़ी सिनेमा को अपने कैनवास पर उकेर कर,इसे नया रंग देने के भरसक प्रयास जारी रखे,और वह कडी़ मेहनत के साथ इसमें सफल भी रहे। उसी का नतीजा हैं कि आज उत्तराखंडी सिनेमा निरंतर सफलता के नये मुकाम की तरफ बढ़ता जा रहा है।

यकीनन इसका श्रेय हमारे लोक कलाकारों और उन निर्माता-निर्देशकों के साथ कहानिकारों को भी जाता हैं। जो लगातार पहाड़ी सिनेमा को नया स्वरूप देने की दिशा में काम कर रहे है। इसी कड़ी में एक नाम सम्मान के साथ अनमोल प्रोड्क्शन का लिया जाता हैं। जिसने माधवानंद एवं मीनाक्षी भट्ट के सानिद्धय में पहाडी लोक पंरपरा को सिर्फ नयी दिशा ही नहीं दी बल्कि वह पहाड़ी सिनेमा को नयी ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं और सफल भी हैं,वह भी इस दौर में जब क्षेत्रिय सिनेमा के दौर को बहुत पीछे की पंक्ति में खड़े रहने का बात की जा रही हो।

‘सिपैजी’ से शुरू हुआ अनमोल प्रोडक्शन का सफर जब ‘गोपी-भिना’ के साथ बड़े पर्दे पर उतरता हैं तो उसके कैनवास पर उकेरी खुबसूरत रेखाएं….दर्शकों को अपनी ओर आकृषित करने में सफलता के नये आयाम गढ़ देती है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं कि अनमोल प्रोड्क्शन जिस तरह से उत्तराखंडी लोक सांस्कृति परिवेश को लगातार नयी दिशा की ओर लेकर जा रहा हैं। यह सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्र में माधवानंद एवं मीनाक्षी भट्ट जी का सुफल और सफल प्रयास भी हैं,जिसके माध्यम से पहाड़ की लोक-कलाओं,लोक-परंपराओं और पहाड़ की लोक विरास्त को संजोने का महत्वपूर्ण कार्य भी जमीनी धरातल पर उतर रहा है। जिसके झलक उनकी हर फिल्म में देखी जा सकती है।

इसी परिवेश को आगे बढ़ाते हुए अनमोल प्रोडक्शन के तत्वाधान में माधवानंद एवं मीनाक्षी भट्ट ने उत्तराखंड सिनेमा के बड़े पर्दे पर ‘गोपी-भिना’ के रूप में एक और अनमोल फिल्म उतारी हैं,जिसने उत्तराखंडी सिनेमा के इतिहास में सफलता का एक और नया अध्याय जोड़ दिया। यह नया अध्याय सफलता के फलक पर इसी लिए भी नया अध्याय हैं कि पहली बार मुंबई जैसे महानगर में उत्तराखंडी़ फिल्म ‘गोपी-भिना’ को एक साथ,एक समय मुंबई के पांच अलग-अलग सिनेमाघरों पर प्रदर्शित किया गया और इन सभी पांचों सिनेमाघरों में ‘गोपी-भिना’ का शो हाउस फुल रहा है। जिससे साफ जाहिर होता हैं कि आज के समय में यदि आप एक अच्छी कहानी को सफल निर्देशन के साथ पर्दे पर उकेरते हैं तो निश्चित तौर पर उसको जानने-समझने वाले दर्शकों की आपके पास फिर कमी नहीं होती हैं,जिसका श्रेय सीधे तौर पर माधवानंद एवं मीनाक्षी भट्ट जी को जाता है।

यकीनन ‘गोपी-भिना’ के इस अध्याय को खूबसूरती से बड़े पर्दे पर विखरने का श्रेय फिल्म के कलाकार हेमंत पांडे,हिमानी शिवपुरी,संजय सिलोड़ी और मॉडल एवं अभिनेत्री त्विसा भट्ट को भी जाता हैं। जिन्होंने अपने दमदार अभिनय से ‘गोपी-भिना’ को नयी ऊंचाई प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। अपने जमाने का मशहूर अभिनेता और ‘गोपी-भिना’ के निर्देशक अशोक मल्ल जी भी निश्चित तौर पर बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने अपनी कलम और निर्देशन के माध्यम से फिल्म के कलाकारों को नया रूप और नया रंग दें बड़े पर्दे पर उकेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।

बधाई के पात्र पहाड़ी सिनेमा को करीब से जानने-समझने वाले दर्शक भी हैं कि उन्होंने ‘गोपी-भिना’ को अपने पहाड़ी मिज़ाज के साथ इतिहास रचने के लिए इतना प्यार और सम्मान दिया।

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