गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से मरे 33 बच्चे

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विभिन्न चिकित्सीय कारणों से हुई मौत : यूपी सरकार 

सरकार का गैर जिम्मेदाराना बयान :  आक्सीजन की कमी के कारण नहीं हुई किसी रोगी की मौत 

गोरखपुर : बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन खत्म होने से अबतक 30 बच्चों की मौत हो चुकी है। मरने वाले बच्चे एनएनयू वार्ड और इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती थे। दो दिन पहले नौ अगस्त की शाम को सीएम योगी आदित्यनाथ मेडिकल कॉलेज का हाल देखकर गये थे। बताया जा रहा है कि 69 लाख रुपये का भुगतान न होने की वजह से फर्म ने ऑक्सीजन की सप्लाई ठप कर दी थी। लिक्विड ऑक्सीजन तो गुरुवार से ही बंद थी और आज सारे सिलेंडर भी खत्म हो गए। इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरीजों ने दो घंटे तक अम्बू बैग का सहारा लिया। वहीं यूपी सरकार का कहना है कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी के कारण किसी रोगी की मौत नहीं हुई है।

ताज्जुब है कि इतनी बड़े संकट के बावजूद डीएम या कमिश्नर में से कोई भी शुक्रवार को दिन भर बीआरडी मेडिकल कॉलेज नहीं पहुंचा। जबकि मेडिकल कॉलेज के डाक्टरों का कहना था कि दोनों अधिकारियों को मामले की जानकारी दे दी गई थी। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचते तो क्राइसिस मैनेजमेंट आसान हो जाता। बुधवार को ही लिक्विड ऑक्सीजन का टैंक पूरी तरह से खाली हो गया था। मंगाए गए ऑक्सीजन सिलेंडर भी खत्म हो गए। इसके बाद कालेज में हाहाकार मच गया। बेड पर पड़े मासूम तड़पने लगे। डॉक्टर और तीमारदार एम्बू बैग से ऑक्सीजन देने की कोशिश करने लगे। हालांकि उनकी यह कोशिश नाकाफी साबित हुई। इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरने वालों में जुनैद, अब्दुल रहमान, लवकुश, ज्योति, शालू, खुशबू, फ्रूटी, शिवानी और अरूषी शामिल थी।

गुरुवार से शुरू हुआ ऑक्सीजन संकट

बीआरडी में ऑक्सीजन की आपूर्ति का संकट गुरुवार को तब शुरू हुआ जब लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट में गैस खत्म हो गई। संकट को देखते हुए गुरुवार को दिन भर 90 जंबो सिलेंडरों से ऑक्सीजन की सप्लाई हुई। रात करीब एक बजे यह खेप भी खप गई। जिसके बाद अस्पताल में कोहराम मच गया। साढ़े तीन बजे 50 सिलेंडरों की खेप लगाई गई। यह सुबह साढ़े सात बजे तक चला।

सुबह फिर मचा कोहराम
वार्ड 100 बेड में भर्ती इंसेफेलाइटिस के 73 में से 54 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। सुबह साढ़े सात बजे ऑक्सीजन खत्म फिर खत्म हो गई। जिसके बाद वार्ड 100 बेड में हंगामा शुरू हो गया। एम्बुबैग के सहारे मरीजों को ऑक्सीजन दी गई। तीमारदारों के थक जाते ही डॉक्टर एम्बुबैग से ऑक्सीजन देते रहे।

ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई मौत : सरकार ने दी भ्रामक जानकारी 

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने शुक्रवार की देर शाम यह बात कही। प्रवक्ता ने कहा कि आक्सीजन की कमी से पिछले कुछ घंटों में मेडिकल कालेज में भर्ती कई रोगियों की मृत्यु होने के संबंध में समाचार भ्रामक हैं। उन्होंने बताया कि इस समय गोरखपुर के जिलाधिकारी मेडिकल कालेज में मौजूद रहकर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। प्रवक्ता के अनुसार मेडिकल कालेज में शुक्रवार को भर्ती सात मरीजों की विभिन्न चिकित्सीय कारणों से मृत्यु हुई है।

30 मौतों की जांच हो और आश्रितों को 20-20 लाख दिए जाएं

उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री एवं सपा नेता राधेश्याम सिंह ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दो दिन में 30 मासूमों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने, दोषियों पर मौत की धारा में मुकदमा कायम करने और मृतक आश्रितों को फौरन 20-20 लाख रुपये की मदद करने की प्रदेश सरकार से मांग की है। उन्होंने कहा कि सीएम मेडिकल कॉलेज का जिस दिन दौरा करते हैं, उसके दूसरे ही दिन आक्सीजन की कमी से मासूम तड़प-तड़प कर मरने लगते हैं। यह बताता है कि कॉलेज प्रशासन कितना गैरजिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मामले में लीपापोती नहीं होनी चाहिए। दोषी अधिकारियों को सीधे बर्खास्त किया जाना चाहिए। सपा इस घटना को बहुत गंभीरता से ले रही है। पार्टी पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है। प्रदेश सरकार इन परिवारों को तत्काल 20-20 लाख रुपये की मदद दे।

बीआरडी में दो वर्ष पूर्व लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट लगाया गया। इसके जरिए इंसेफेलाइटिस वार्ड समेत 300 मरीजों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है। इसकी सप्लाई पुष्पा सेल्स करती है। कंपनी के अधिकारी दिपांकर शर्मा ने प्राचार्य को पत्र लिखकर बताया है कि कालेज पर 68 लाख 58 हजार 596 रुपये का बकाया हो गया है। बकाया रकम की अधिकतम तय राशि 10 लाख रुपये है। बकाया की रकम तय सीमा से अधिक होने के कारण देहरादून के आईनॉक्स कंपनी की एलएमओ गैस प्लांट ने गैस सप्लाई देने से इनकार कर दिया है।

33 मौतों के बाद आखिर शुरू हुई सप्लाई

बीआरडी में गुरुवार की शाम से ही बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया। एक-एक कर बच्चों की हो रही मौत से परेशान डॉक्टरों ने पुष्पा सेल्स के अधिकारियों को फोन कर मनुहार की। उधर कालेज प्रशासन ने 22 लाख रुपये बकाया के भुगतान की कवायद शुरू की। जिसके बाद पुष्पा सेल्स के अधिकारियों ने लिक्विड ऑक्सीजन के टैंकर को भेजने का फैसला किया। हालांकि यह टैंकर भी शनिवार की शाम या रविवार तक ही बीआरडी पहुंचेगा।

फर्म पहले भी ठप कर चुकी है ऑक्सीजन सप्लाई
बीते वर्ष अप्रैल में भी फर्म का बकाया करीब 50 लाख रुपये हो गया। फर्म ने कई बार बकाया भुगतान के लिए पत्र लिखा। आरोप है कि भुगतान न मिलने पर फर्म ने आपूर्ति ठप कर दिया। इसके बाद जमकर हंगामा हुआ।

बीआरडी में ऑक्सीजन के संकट ने पूरे अस्पताल प्रशासन को घुटनों के बल ला दिया। डॉक्टरों ने प्रशासनिक अधिकारियों को संकट की जानकारी दी, मदद भी मांगी। मगर जिले के आला अधिकारी बेपरवाह रहे। ऐसे में मदद को आगे आया एसएसबी व कुछ प्राइवेट अस्पताल। सशस्त्र सीमा बल के अस्पताल से बीआरडी को 10 जंबो सिलेंडर दिए।

ऑक्सीजन खत्म होने की खबर कर्मचारियों ने रात दो बजे ही वार्ड 100 बेड के प्रभारी डॉ. कफील खान को दी। वह रात में ही चल दिए। तड़के तीन बजे से ही वार्ड में जमे रहे। इसके बाद से ही वह ऑक्सीजन सिलेंडरों के इंतजाम में लगे रहे। सुबह सात बजे जब किसी बड़े अधिकारी व गैस सप्लायर ने फोन नहीं उठाया तो डॉ. कफील ने डॉक्टर दोस्तों से मदद मांगी। अपनी गाड़ी से ऑक्सीजन करीब एक दर्जन सिलेंडरों को ढुलवाया।

एसएसबी ने दिए 10 सिलेंडर
मासूमों को तड़पता देखकर डॉ. कफील ने एसएसबी से मदद मांगने का फैसला किया। वह एक कर्मचारी को लेकर बाईक से ही एसएसबी के डीआईजी के पास गए। डीआईजी एसएसबी ने तत्काल 10 ऑक्सीजन सिलेंडर दिया। इतना ही नहीं एक ट्रक भी भेजा जिससे कि कालेज प्रशासन दूसरी जगहों से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगा सके।

प्रभावित हुए ये वार्ड …..
ट्रॉमा सेंटर
100 बेड वाला इंसेफेलाइटिस वार्ड
नियोनेटल यूनिट
इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड-14
मेडिसिन आईसीयू
एपीडेमिक मेडिसिन वार्ड-12
बालरोग वार्ड 6
वार्ड नंबर 2
एनेस्थिसिया आईसीयू
लेबर रूम
जनरल सर्जरी, न्यूरो सर्जरी ओटी